pashupatinath mandsaur : मंदसौर में शिवना नदी के किनारे बना है पशुपतिनाथ का भव्य मंदिर

इस पोस्ट में आज हम आपको मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर के बारे में बताएंगे pashupatinath mandsaur विश्व भर में विख्यात है यहां की पशुपतिनाथ की प्रतिमा अद्वितीय है, मंदसौर के अलावा नेपाल में भी पशुपतिनाथ का मंदिर है परंतु वहां प्रतिमा में भगवान पशुपतिनाथ की चार मुख की प्रतिमा है जबकि मंदसौर में स्थित पशुपतिनाथ की प्रतिमा अष्टमुखी है, भगवान पशुपतिनाथ मंदसौर के बारे में पूरी जानकारी के लिए पूरा आर्टिकल ध्यान से पढें ।

Pashupatinath Mandsaur शिवना के किनारे स्थित है मंदिर 

भगवान पशुपतिनाथ का भव्य मंदिर मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है, मध्यप्रदेश का मंदसौर जिले भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के लिए विश्व भर में विख्यात है दूर – दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते है और अपनी मनोकामना भगवान के चरणों मे समर्पित कर देते है, हाल ही में उज्जैन में बने महाकाल लोक के तर्ज पर मंदसौर में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर का भी जीर्णोद्वार किया जाएगा यहां भी पशुपतिनाथ महलोक बनाया जाएगा यह मंदिर प्राचीन समय से लोगो के आस्था का केंद्र रहा है।

पशुपतिनाथ मंदिर का इतिहास 

पशुपतिनाथ मन्दिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के मन्दसौर जिले में स्थित एक प्राचीन मन्दिर है। यह मन्दसौर नगर में शिवना नदी के किनारे स्थित है। पशुपतिनाथ की मूर्ति पूरे विश्व में अद्वितीय प्रतिमा है ये प्रतिमा इस संसार की एक मात्र प्रतिमा है जिसके आठ मुख है और जो अलग-अलग मुद्रा में दिखाई देते है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Google News Follow us

इस प्रतिमा की भी अपनी कहानी है, मंदसौर के ही एक उदा नाम के धोबी द्वारा जिस पत्थर पर कपड़े धोये जाते थे, वही पत्थर भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति थी ! बताया जाता है कि एक दिन वह गहरी नींद में सो रहा था तो उसे स्वयं भगवान शंकर सपने में आये और उसे बोले कि तू जिस पत्थर पर अपने व लोगो के मेले कपड़े धोता है वही मेरा एक अष्ट रूप है ! यह सुनकर उस धोबी ने सुबह अपने दोस्तों को यह बात बताई और सब ने मिलकर उस मूर्ति को नदी के गर्भ से बाहर निकाला।

मूर्ति इतनी विशालकाय ओर भारी थी कि 16 बेलों की जोड़ी भी उसे खीचने में असमर्थ हो रही थी, पर लोगो की मदद से मूर्ति को निकाला गया, मूर्ति को नदी के उस कोने से इस कोने पर जब लाया जा रहा था तब एक चमत्कार हुआ मूर्ति उस कोने से इस कोने आ तो गई परन्तु मूर्ति को नदी से दूर एक उचित स्थान पर स्थापित करने बेलो की सहायता से ले जाया जा रहा था तो वह जैसे नदी से दूर जाना नही चाह रही थी जिस जगह आज मूर्ति स्थापित है वही जगह जहां से मूर्ति हिली ही नही, आज उस जगह पर भगवान पशुपतिनाथ का विशालकाय मंदिर स्थापित है।

मूर्ति को निकालने के वक्त से लगभग 18 सालो तक मूर्ति की स्थापना नही हो पाई थी क्योंकि उस वक्त संसाधनों का बहुत अभाव हुआ करता था ! कहा जाता है वहां के एक सज्जन पुरुष श्री शिवदर्शन अग्रवाल द्वारा मूर्ति को अपने बगीचे में संभालकर रखा गया था , भागवताचार्य श्री श्री 1008 स्वामी प्रत्यक्षानंद जी द्वारा मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी व बाद में ग्वालियर स्टेट की राज माता श्री विजयाराजे सिंधिया द्वारा एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया एवं मंदिर शिखर पर स्वर्ण कलश को स्थापित किया गया ! महादेव श्री पशुपतिनाथ की मूर्ति को एक ही पत्थर पर बहुत ही आकर्षक तरीके से बनाया गया है !

श्रावण मास में लगती है भक्तों की भीड़ 

Pashupatinath Mandsaur वैसे तो यहां हर रोज भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए भक्तगण आते है परंतु श्रावण मास में भक्तों की भारी भीड़ बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए पहुचती है, श्रावण मास में मंदिर बहुत अच्छे तरीके से सजाया जाता है इसके अलावा श्रावण मास के अंतिम सोमवार को बाबा पशुपतिनाथ की शाही सवारी पूरे मंदसौर में निकाली जाती है इस दिन भगवान पशुपतिनाथ पूरे मंदसौर नगर का भ्रमण करते है साथ में और भी झाकियां शाही सवारी की शोभा बढ़ाती है।

भगवान पशुपतिनाथ मंदिर और प्रतिमा की विशेषताएं

मंदसौर का मुख्य आकर्षण भगवान पशुपतिनाथ मंदिर है। पशुपतिनाथ भगवान शिव का पर्यायवाची नाम है। इस कलात्मक मूर्ति का निर्माण चमकते हुए गहरे तांबे के उग्र चट्टान-खंड में हुआ है। मंदिर शिवना नदी के तट पर स्थित है।

इसका वजन 4600 किलोग्राम है। वक्रता में ऊँचाई 7.25 फीट और सीधी में 11.25 फीट है। प्रतिमा के 8 सिर हैं जिन्हें वे दो भागों में विभाजित करते हैं। पहला भाग 4 शीर्ष पर और दूसरा भाग 4 शीर्ष तल में। शीर्ष 4 सिर स्पष्ट, परिष्कृत और पूर्ण हैं तो 4 नीचे के सिर परिष्कृत नहीं हैं।

इस मंदिर के चारों दिशाओं में चार दरवाजे हैं लेकिन प्रवेश द्वार पश्चिम में स्थित है। इस पुतले के सिर जो पश्चिम में स्थित हैं, भगवान शिव की भयावह छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। इस सिर के मेकअप में तीन रास्प (नख) दिखाई देते हैं जो जहरीले सांपों के गोले के आकार के बालों में होते हैं, तीसरी आंख और उभरी हुई जेली होती है। केंद्र में उलझे हुए बाल सांपों से घिरे होते हैं जो सर्वनाश करने वाले ओम्कार होते हैं (वेद मंत्र जो ईश्वर के प्रतीक हैं)

Pashupatinath Mandsaur कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग :- मंदसौर शहर में कोई एयरपोर्ट नहीं इसलिए यहां हवाई मार्ग से आना संभव नही हैं परंतु मंदसौर के नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर और इंदौर है, उसके बाद आगे का सफर आपको बस या ट्रैन से करना होगा।

ट्रैन द्वारा :- भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए आप ट्रैन से आसानी से आ सकते है मन्दसौर में रेल्वे स्टेशन से भगवान पशुपतिनाथ मंदिर की दूर करीब 8 से 10 किलोमीटर है आप आसानी से ऑटो की सहायता से मंदिर तक पहुंच सकते है मंदसौर के अलावा नजदीकी रेलवे स्टेशन शामगढ़ और रतलाम है।

सड़क मार्ग :- भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर बस स्टैंड से करीब 3 किलोमीटर ही दूर है बस स्टैंड से पैदल है ऑटो की मदद से कुछ ही समय मे मंदिर दर्शन के लिए पहुंच सकते है और बाबा पशुपतिनाथ का आशिर्वाद ले सकते है।

सारांश

आज आपने विश्वविख्यात भगवान पशुपतिनाथ मंदिर मन्दसौर के बारे में जाना यह मंदिर प्राचीन से ही विख्यात रहा है वर्तमान में मंदिर का तेजी से निर्माण कार्य हो रहा है और मंदिर को और भी भव्य बनाया जा रहा है पशुपतिनाथ का मंदिर मंदसौर नगर की शान है और मंदसौरवासियों का गर्व है pashupatinath Mandsur का यह मंदिर ।

यह भी पढें :- 

Bageshwar Dham Dhirendra Krishna biography in hindi : धीरेंद्र कृष्ण जी का जीवन परिचय

Join whatsapp Group for latest updates

ज्यादा जानकारी और लेटेस्ट अपडेट के लिए नीचे दिए गए आइकॉन से हमारा टेलीग्राम ग्रुप जॉइन करें।